
जयपुर। राजस्थान के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश अकील कुरेशी को मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत कर नवम्बर 2019 में त्रिपुरा भेजा गया था, जबकि उनके स्थान पर त्रिपुरा के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त इंद्रजीत माहांती अक्टूबर 2019 से राजस्थान में मुख्य न्यायाधीश पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश कुरेशी ने मार्च 2004 में गुजरात हाईकोर्ट से न्यायाधीश के रूप में पारी की शुरुआत की। उनका बॉम्बे हाईकोर्ट तबादला किए जाने को लेकर भी गुजरात हाईकोर्ट के वकीलों ने विरोध जताया था। 2019 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की, लेकिन केन्द्र सरकार ने मंजूरी रोक ली। इसको लेकर गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने केन्द्र सरकार पर मनमानी का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सितंबर 2019 में उनको त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की, जिसे केन्द्र सरकार की मंजूरी के बाद नवम्बर 2019 में त्रिपुरा के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाल लिया। वरिष्ठ होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश नहीं बनाने को लेकर भी हाल ही वे सुर्खियों में रहे।
न्यायाधीश माहांती 2019 में आए राजस्थान
न्यायाधीश माहांती मार्च 2006 में ओडीसा हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किए गए और नवम्बर 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट तबादला किया गया। उन्होंने 6 अक्टूबर 2019 में राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला।
न्यायाधीश माहांती इसलिए चर्चा में रहे
मुख्य न्यायाधीश माहांती ने पिछले साल तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित 19 विधायकों की सदस्यता के मामले में स्पीकर की कार्यवाही पर रोक लगाई औंर बसपा विधायको की सदस्यता के मामले में अखबार के जरिए हाईकोर्ट का नोटिस तामील कराने का आदेश दिया। पिछले साल उनकी बेंच ने ही निजी स्कूल फीस में 30 प्रतिशत कमी करने का आदेश दिया, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मामला गया और सुप्रीम कोर्ट ने 2019—20 की फीस में 15 प्रतिशत कमी कर 2020—21 के लिए फीस तय की।
न्यायाधीश कुरेशी चर्चा में रह चुके
गुजरात में 2010 में न्यायाधीश कुरैशी ने वहां के तत्कालीन मंत्री अमित शाह को सोहराबुद्दीन मुठभेड़ हत्या मामले में दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। 2012 में एक फैसले के तहत (सेवानिवृत्त) जस्टिस आरए मेहता की लोकायुक्त के रूप में नियुक्ति को बरकरार रखा था। 2016 में नरोदा पाटिया हत्याकांड मामले में गुजरात की तत्कालीन मंत्री माया कोडनानी व अन्य की दोषसिद्धि के खिलाफ अपील पर सुनवाई से हटते हुए टिप्पणी की। मई 2018 में उनकी बेंच ने गोधरा के बाद हुए दंगों में ओड में 23 लोगों को जिंदा जलाने के मामले में शामिल 19 आरोपियों की सजा को बरकरार रखा।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3Fvw6ww
إرسال تعليق