
पुष्पेन्द्र सिंह शेखावत/जयपुर। सरकार ने पटाखों पर तो रोक लगा दी, पर भूख पर किसकी लगाम है साहब। रावण भले ही लोगों के लिए पुतला है, लेकिन हमारी तो रोज़ी रोटी ही इससे जुड़ी है। रावण नहीं जले तो घर का चूल्हा भी नहीं जल पाएगा। आंखों में आंसू और दिल में परिवार को पालने की चिंता लिए जयपुर के फूटपाथों पर बैठे रावण बनाने वाले ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं।
इन कारीगरों का कहना है कि बीते साल कोरोना ने कमाने नहीं दिया। इस साल सोचा था कि कुछ कमा लेंगे, इसलिए यहां आए। कच्चा माला खरीदा लेकिन उसके बाद पटाखों पर प्रतिबंध लग गया। जिससे पूरे सपने चकनाचूर हो गए। अब तो हाल यह है कि कच्चा माल और वापस लौटने के पैसे मिल जाएं तो भी गनीमत रहेगी। यह कहना है गुजरात से जयपुर आए रावण के पुतले बनाने के कारीगर विनोद गुजराती का।
विनोद ने गुर्जर की थड़ी पर परिवार सहित रावण बनाने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि यहां आने के बाद पटाखों पर प्रतिबंध लग गया। उससे पहले हमने कच्चा माल लकड़ी के बांस, कागज, कपड़ा आदि खरीद लिए थे। अब तक मात्र 10—15 रावण के पुतलों का आर्डर आया है। इस के चलते अब तो कच्चे माल के पैसे निकलना भी मुश्किल लग रहा है। अगर रावण के पुतले नहीं बिके तो घर चलाना मुश्किल हो जाएगा।
सस्ते देने पड़ेगे पुतले
वहीं कुछ दूरी पर कैलाश गुजराती ने बताया कि पिछले साल कोरोना के चलते नहीं आए थे। उससे पहले हमने वर्ष 2019 में रावण के पुतले 1000 रुपए फीट के हिसाब से बेचे थे। अब कच्चा माल महंगा हो गया लेकिन लगता है कि दो साल पुराना भाव भी नहीं मिल पाएगा। अगर पुतलों में पटाखे नहीं लगेंगे तो बच्चे रावण जलाने में रुचि नहीं दिखाएंगे।
कम ही नजर आ रहे रावण
हर वर्ष की भांति इस बार रावण कम ही नजर आ रहे हैं। इसके बारे शास्त्री नगर में नगर निगम आफिस के सामने रावण बना रही रोशनी ने बताया कि हम बिहार से आए हैं। रिश्तेदार और भी आने वाले थे। यहां जैसे ही पटाखों पर प्रतिबंध लगा हमने उन्हें मना कर दिया। वे अब दूसरे राज्यों में गए हैं।
एक से 15 फीट के पुतले
विजयदशमी नजदीक आते मंडी व बाजारों में एक से 15 फीट के रावण पुतले बन रहे हैं। किसान धर्म कांटा, गुर्जर की थड़ी, एसएफस, बीटू बायपास, सोढाला, बाईस गोदाम आदि स्थनों पर रावण के पुतले नजर आ रहे हैं। कारीगर आशीष ने बताया कि अगर पटाखों पर प्रतिबंध हटे तो बाजार में कुछ आर्डर आ सकते हैं।
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