
अपनी जेब ढीली कर करवा रहे बच्चों को पढ़ाई
जयपुर।
कोविड का असर कम होने के साथ ही स्कूल खुल चुके हैं लेकिन बच्चों की संख्या अभी काफी कम है। ऐसे में ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन पढ़ाई भी जारी है लेकिन समय के साथ यह ऑनलाइन पढ़ाई शिक्षकों पर भारी पड़ रही है और बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाने में उन्हें अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है।
दरअसल विभाग की ओर से जारी आदेश, निर्देश,सूचना प्रारूप, बड़ी पीडीएफ फाइल, निष्ठा और दीक्षा जैसे विभिन्न प्रशिक्षण मोबाइल से ही करवाए जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों के लिए आवश्यक हो गया है कि वह एंड्रॉयड मोबाइल रखें लेकिन मोबाइल हैंडसेंट के अधिकाधिक उपयोग का असर मोबाइल की बैटरी पर पडऩे से वह जल्दी खराब हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें एक डेढ़ साल में नया मोबाइल खरीदना पड़ रहा है। शिक्षकों का कहना है कि कोविड से पूर्व जो मोबाइल उनके पास थे ऑनलाइन पढ़ाई के चक्कर में उन्हें दूसरे मोबाइल खरीदने पड़े।
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हर माह 300 से 500 रुपए तक का रिचार्ज
शिक्षकों को सिर्फ और सिर्फ विभाग के कार्य पूर्ण करने के लिए अपना व्यक्तिगत निजी एंड्राइड मोबाइल एवं डाटा खर्च करना पड़ रहा है, जो शिक्षकों पर आर्थिक बोझ है। कुछ शहरी विद्यालयों में वाई फई की सुविधा है लेकिन वहां भी कार्यालय अध्यक्ष द्वारा वाईफाई उपयोग की अनुमति नहीं दी जाती। हर स्कूल में यह सुविधा उपलब्ध भी नहीं है, इसलिए ज्यादातर शिक्षक उसका उपयोग नहीं कर पाते। ऐसे स्कूल जहां वाई फाई की सुविधा है वहां भी मोबाइल हैंडसेट के लिए प्रतिमाह लगभग 300 से 500 रुपए तक का रिचार्ज डाटा खरीदना भी आवश्यक हो गया है। सभी विभागों के कार्यालयों में वाईफाई कनेक्शन व कंप्यूटर दिए गए हैं उनके विभाग द्वारा कार्मिकों के निजी मोबाइल हैंडसेट व डेटा का उपयोग नहीं लिया जाता है।
कंटेजेंसी और स्टेशनरी भत्ते की व्यवस्था नहीं
शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा विभाग में शिक्षकों के निजी मोबाइल व डाटा का अधिकाधिक उपयोग करवाने के बाद भी कंटेजेंसी व स्टेशनरी भत्ते की व्यवस्था नहीं की जा रही । हर शिक्षक मोबाइल डाटा खरीदने के साथ साथ आवश्यक सामग्री प्रिंट करवाने में अपनी जेब से पैसा खर्च कर रहा है। ऑनलाइन शिक्षण करने वाले बच्चों के लिए भी शिक्षकों को क्विज, प्रश्नपत्र आदि हल करवाने के लिए स्टेशनरी की जरूरत होती है। इस स्टेशनरी की व्यवस्था भी शिक्षक अपनी जेब से करने पर मजबूर है, इसके लिए स्कूल या विभाग की तरफ से उन्हें कोई अतिरिक्त बजट नहीं दिया जा रहा। बल्कि अब ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन पढ़ाई करवाने के लिए काम का भार दोगुना हो गया है।
लगातार ऑनलाइन शिक्षण तथा निष्ठा,दीक्षा एसआईआरटी, डाइट, एनजीओ व फाउंडेशन के अलावा अन्य विभागीय प्रशिक्षण डाक सूचनाएं,शाला दर्पण पोर्टल पर समस्त विद्यालय सूचनाएं, बालकों व शिक्षकों का मूल्यांकन, बालकों का परीक्षा आवेदन व परिणाम, स्कूल फैसिलिटी के संसाधनों व विभिन्न छात्रवृत्तियों को ऑनलाइन करने,काउंसलिंग वीसी, ऑनलाइन शिक्षण एवं क्विज व प्रश्नपत्र हल करवाने से शिक्षकों के स्वास्थ्य दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
कंटेजेंसी और स्टेशनरी भत्ता दिए जाने की मांग
शिक्षकों की इस परेशानी को देखते हुए राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री को ज्ञापन भेजकर शिक्षकों को प्रतिमाह 2500 रुपए कंटेजेंसी व स्टेशनरी भत्ता प्रदान करने के साथ ऑनलाइन शिक्षण, क्विज , लिपिकीय कार्यो पर रोक लगाते राहत देने की मांग की है।
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